Wednesday 17 December 2014

स्वस्थ रहने की 10 अच्छी आदतें जो रखेगा आप को स्वस्थ

कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।
घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
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ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।
बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।
कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें।
अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें।
बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।










Tuesday 16 December 2014

सूखे मेवे को भिगोंकर खाने से लाभ

सूखे मेवे बहुत शक्तिवर्द्धक होते हैं। ये मस्तिष्क एवं शरीर के लिये टॉनिक का काम करता है, जो उन्हें स्वस्थ एवं पुष्ट बनाता हैं। यदि ३५ ग्राम मेवाओं का - जिसमें संतृप्त वसा एवं कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है- का प्रतिदिन सेवन किया जाए, तो हृदय रोग की आशंका कम हो सकती है। अक्‍सर हम कुछ मेवों को खाने से पहले पानी में भिगो देते हैं और फिर उसका सेवन करते हैं। क्‍या आपको मालूम है इसके पीछे का कारण? ठीक अनाज की तरह मेवों में भी फीटिक एसिड पाया जाता है जो कि उसे शिकारियों से बचाने का काम करता है और पकने का मौक देता है। अगर मेवे को बिना भिगोए खाया जाए तो इसमें मौजूद एसिड उसे ठीक से पचने नहीं देता। मेवे को कुछ घंटे भिगो कर खाने पर उसमें से एसिड निकल जाता है और मौजूदा एंजाइम बेअसर हो जाता है, जिससे वह आसानी से पच जाता है। ऐसा करने से मेवे में मौजूद विटामिन और पोषक तत्‍व भी शरीर दृारा असानी से ग्रहण कर लिया जाता है। अगर मेवे को हल्‍के गरम पानी में भिगो दें, तो उसका छिलका आराम से निकाला जा सक‍ता है। अगर पानी में थोड़ा सा नमक भी मिक्‍स कर दिया जाए तो एंजाइम बेअसर हो जाते हैं। सूखे मेवे खाने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मेवे खाने से पहले क्‍यूं भिगोएं पानी में? मेवे को पानी में भिगोने का एक और फायदा यह भी है कि ऐसा करने से धूल अवशेषों और टैनिन से छुटकारा मिल जाता है। जिस पानी में मेवे भिगोए गए थे उसका प्रयोग खाना बनाते वक्‍त नहीं करना चाहिये, क्‍योंकि इसमें घातक पदार्थ हो सकते हैं।
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कौन से मेवे कितने घंटे भिगोना चाहिये :  
  • अखरोट: 8 बजे  
  • बादाम: 12 बजे 
  •  कद्दू के बीज: 7 बजे  
  • पाइन नट: 8 बजे  
  • हेजल नट: 8 बजे  
  • काजू: 6 बजे  
  • अलसी का बीज: 6 बजे  
  • अल्फला बीज: 12 बजे

Monday 15 December 2014

आंवला से रोगों का उपचार

आंवला रस का प्रयोग एलोविरा के साथ किया जाता हो तो इसका प्रभाव और गुण और बढ़ जाता है.रोजाना सुबह खाली पेट ३० एमएल एलोविरा रस और १५ एमएल आंवला रस १२० एमएल पानी में मिलाकर लेने से रोजाना पेट साफ रहता है कब्ज नहीं होती है और एसीडिटी जड़ से खत्म हो जाती है।
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जिन्हे सर्दी जुखाम की समस्या हमेशा रहती हो वो सिर्फ ५ एमएल आंवले के रस का प्रयोग करें.आंवला का सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है, इसके साथ ही किडनी,त्वचा और बालों को भी बहुत लाभ पहुँचता है।
नेत्र ज्योति बढ़ाने के साथ-साथ आंवला दाह, पाण्डु, रक्तपित्त, अरुचि, त्रिदोष, दमा, खांसी, श्वास रोग, कब्ज, क्षय, छाती के रोग, हृदय रोग, मूत्र विकार आदि अनेक रोगों को नष्ट करने की चमत्कारी अौषधीय शक्ति से भरपूर है।
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हिचकी के लिए आंवला, कैथ का गूदा, छोटी पीपर का चूर्ण, शहद से चटाएं तो हिचकियां मिट जाएंगी।
अजीर्ण रोग में ताजा आंवला, अदरक, हरा धनिया मिलाकर चटनी बनावें। इसमें नमक, काला नमक, हींग, जीरा, काली मिर्च मिला चटावें। डकारें आएंगी, भूख खुलेगी, हाजमा बढ़ेगा।
स्त्रियों का बहुमूत्र (सोमरोग) में आंवले का रस, पका हुआ केले का गूदा, शहद व मिश्री चारों मिलाकर चटाएं।
मूत्र कष्ट होने पर आंवले का 25 ग्राम ताजा रस, छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण बुरक कर पिलाएं। मूत्र आने लगेगा।
मुंह के छाले और घाव में आंवले के पत्तों के काढे से दिन में 2 से 3 बार कुल्ले कराएं। 


Friday 12 December 2014

स्वस्थ्य रहने के लिए एलोविरा

एलोविरा के बारे में जानकारी=भारत में प्राचीनकल से ही एलोविरा का उपयोग औषधि के रूप में हो रहा है। भारत में इसे ग्वारपाठा या घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है.हमारे देश में इसकी लगभग २०० प्रजातियां पाई जाती हैं,जिनमे से पांच ही औषधि के रूप में प्रयोग की जाती हैं,जबकि पुरे विश्व में एलोविरा की ५०० प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमे से सिर्फ ३५ प्रजातिया ही मनुष्य के उपयोग के लिए लाभप्रद पाई गईं हैं। .सबसे ज्यादा गुणकारी प्रजाति का नाम बारना डेंसीस है। कांटेदार पत्तियों वाले इस पौधे में रोग निवारण की इतनी अदभुद क्षमता है कि इसे संजीवनी बूटी कहा गया है।
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आजकल इस अौषधि का प्रयोग बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़‍ियों के लिए, खून की कमी को दूर करने के लिए तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ी सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
एलोविरा में १८ धातु, १५ एमीनो एसिड और १२ विटामिन मौजूद होते हैं। प्राकृतिक रूप से गर्म तासीर वाले और बेहद पौष्टिक एलोविरा की काँटेदार पत्तियों को छीलकर एवं काटकर इसका रस निकाला जाता है।
इसे सुबह खाली पेट शीशे के गिलास में ३० एमएल की मात्रा में १२० एमएल पानी मिलाकर लेने से शरीर के सभी रोग तो दूर होते ही है,इसके साथ ही दिन-भर शरीर में शक्ति व चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है।
एलोविरा में एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण जलने पर,अंग कहीं से कटने पर या शरीर की अंदरूनी चोटों पर प्रयोग करने से घाव को जल्दी भरता है.इसका गूदा या जैल बालों की जड़ों में लगाने से बाल काले,घने-लम्बे और मजबूत हो जाते हैं। इसे फटी एड़ियों पर या रूखी-सूखी त्वचा पर लगाने से त्वचा चिकनी हो जाती है। मच्छरों से बचाव के लिए भी लोग एलोविरा जैल हाथ-पैरों पर लगाकर सोते हैं।
एलोविरा जैल चेहरे पर लगाकर बहुत से लोग सेविंग भी करते हैं.चेहरे पर प्रयोग करने से उम्र बढ़ने के साथ साथ या तनाव के कारण आँखों के नीचे बनने वाले काले घेरों को भी ये जैल दूर कर देता है। घरों में लोग गमलों में लगाकर इसका प्रयोग कर रहे हैं.मेरे विचार से तो घर की बजाय किसी अच्छी कम्पनी का एलोविरा जैल लेकर प्रयोग करना पूर्णत: सुरक्षित और ज्यादा फायदेमंद है। आजकल बाजार में एक तरफ जहाँ पीने के लिए अच्छी से अच्छी कम्पनियों का एलोविरा जूस उपलब्ध है,वहीँ दूसरी तरफ सौन्दर्य निखार के लिए एलोविरा जैल हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के रूप में बाजार में बॉडी लोशन, हेयर जैल, स्किन जैल, शैंपू, साबुन, फेशियल फोम, और ब्यूटी क्रीम आदि के रूप में उपलब्ध है।

Sunday 7 December 2014

सफेद बालों के लिए घरेलू उपचार

भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे बालों की कंडीशनिंग भी होगी और बाल काले भी होंगे।
कुछ दिनों तक, नहाने से पहले रोज सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
तिल खाएं और  तिल का प्रयोग बालों को काला करने में बहुत मदद करता है।

आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाएं। बेसन और दही के घोल से बालों को धोएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।
प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
आमलकी रसायन आधा चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से बाल प्राकृतिक रूप से जड़ से काले हो जाते हैं।
इन सब उपायों को अपनाकर आप अपने सफेद होते बालों को रोक सकते है और कुछ हद तक उन्हें  काला भी कर सकते है।
 

Friday 5 December 2014

सौंदर्य निखार के टिप्स


सुंदर दिखना हर किसी की चाहत होती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप मंहगे उत्पाद का प्रयोग करें या ब्यूटी पार्लर का रुख करें। चेहरे की खूबसूरती को निखारने के लिए जरूरी है कि आप इसका खास खयाल रखें। जानिए कुछ आसान उपाय जिनसे आपकी खूबसूरती बरकरार रहेगी।
 
झुर्रियों करें दूर
एक चम्मच शहद में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती है।
चमक रखे बरकरार -
एक चम्मच गुलाबजल और एक चम्मच दूध के मिश्रण में दो तीन बूंद नींबू का रस मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से त्वचा की कोमलता व चमक बनी रहती है।
स्क्रबिंग के लिए
टमाटर का टुकड़ा लेकर चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें, चेहरे की सारी गंदगी साफ हो जाएगी। त्वचा को निखारने के लिए स्क्रबिंग बहुत जरूरी है। स्क्रब त्वचा की मृत कोशिकाओं, धूल इत्यादि को हटाकर रोमछिद्रों को बंद होने से रोकता है।
तैलीय त्वचा से पाएं छुटकारा-
एक चम्मच नींबू का रस में एक चम्मच गुलाब जल और पिसा हुआ पुदीना मिलाकर 1 घंटे रखें। फिर चेहरे पर लगाकर 20 मिनट बाद धो लें। इससे चेहरे का चिपचिपापन दूर हो जाएगा।
कैसे पाएं निखार -
त्वचा में निखार लाने के लिए थोड़े-से चोकर में एक चम्मच संतरे का रस, एक चम्मच शहद व गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर धो डालें।
शहद से पाएं त्वचा में कसावट -
चेहरे व गर्दन पर शहद लगाएं थोड़ा सा सूखने के बाद अंगुलियों से चेहरे पर मसाज करें। शहद के सूखने के बाद गुनगुने पानी से इसे साफ करें। इससे त्वचा में कसाव आएगा।
डार्क सर्कल से बचें-
आंखों के नीचे झुर्रियां व डार्क सर्कल से बचने के लिए बादाम के तेल में शहद  मिलाकर लगाएं और इस हल्के हाथों से मलें और धो लें।
क्लीजिंग के लिए -
चेहरे से मेकअप को हटाने व धूल मिट्टी से बचाने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। इसके लिए चावल के आटे में दही मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे चेहरे एवं गर्दन पर अच्छी तरह मलें। इसके बाद चेहरा धो लें।
रुखी त्वचा से बचें-
नारियल के तेल में  शहद और संतरे का रस मिला लें और इसे रुखी, फटी हुई त्वचा पर लगाएं। इस मिश्रण के सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें और हल्के हाथ से पोंछकर नारियल का तेल या कोई और मॉइश्चराइर लगा लें।
यूं हटाएं चेहरे के दाग-धब्बे -
चेहरे पर काले दागों को हटाने के लिए टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागों पर लगाएं इससे काले धब्बे साफ हो जाएंगे।
मुंहासों से पाएं छुटकारा -
आलू उबाल कर छिलके छील लें और इसके छिलकों को चेहरे पर रगड़ें, मुंहासे ठीक हो जाएंगे।

Thursday 4 December 2014

खांसी, जुकाम एवं मानसिक थकान के लिए घरेलु नुस्खें

शारीरिक व मानसिक थकान: काफी पीने से शरीर और दिमाग की थकान एवं भोजन के बाद पेट में होने वाली गड़बड़ियां दूर हो जाती है। भोजन के बाद काफी पी लेने से
दर्द: कहीं भी कैसा भी दर्द हो, कॉफी पीने से दर्द कम हो जाता है। कॉफी में कैफीन तत्व होता है जो दिमाग के अनुभव केन्द्र जिसे सेन्सरी कार्टेक्स कहा जाता है को प्रभावित कर उत्तेजना लाता है। इससे दर्द कम हो जाता है।
दमा या श्वास रोग:
  • दमा के रोगी को सांस रुक-रुककर आने पर कॉफी पिलाने से आराम आता है।
  • दमा का दौरा पड़ने पर गर्मा-गर्म कॉफी बिना दूध और चीनी डालकर पीने से आराम मिलता है।
सर्दी-जुकाम
खांसी: तेज खांसी में बिना दूध की गर्म कॉफी पीने से लाभ मिलता है।
दर्द व सूजन: कॉफी पीने से दर्द कम होता है। कॉफी में कैफीन तत्त्व होता है जो दिमाग के अनुभव-केन्द्र जिसे सेन्सरी कार्टेक्स कहते हैं को प्रभावित कर उत्तेजना लाता है। इससे दर्द कम होता है।
चुस्ती-फूर्ती: शरीर में स्फूर्ति पैदा करने के लिए कॉफी के बीजों को भूनकर चूर्ण बनाकर पानी में उबालकर पीना चाहिए।
पेट में दर्द:
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  • कॉफी को भोजन करने के बाद पीने से भोजन के बाद हुआ दर्द, अफीम खाने से हुई गड़बड़ी और पेट के दर्द में लाभ होता हैं।
  • खानपान से होने वाला पेट दर्द, अफीम खाने से हुई तेज अपच (भोजन का न पचना), ऐसी हालत में तेज काफी पीने से स्फूर्ति आती है। अनिन्द्रा (नींद न आना) से उत्पन्न थकान भी काफी पीने से दूर हो जाती है। काफी पीने से मस्ती प्रतीत होती है।

सर्दी अधिक लगना: जरूरत से अधिक सर्दी महसूस होने पर कॉफी को पीने से शरीर में गर्मी का अनुभव होता है और सर्दी का प्रकोप शांत हो जाता है।